Thursday, 24 December 2015

इक भक्ति गीत प्रस्फुटित हुआ है
आप सब से साँझा कर रहा हूँ ...
मेरी भक्ति तुम्ही मैय्या मेरी शक्ति तुम्ही मैय्या
चिंतन भी तुम्हारा है हर युक्ति तुम्ही मैय्या
हर बार तुम्ही ने माँ मुश्कित से उभारा है
मझधार थी जब नैय्या तूने पार उतारा है
बंधन से छुड़ाया है हर मुक्ति तुम्ही मैय्या
सुखधाम कहाती हो बस प्रेम लुटाती हो
संतप्त ह्रद्य में भी आनंद बहाती हो
संतोष तुम्ही से है हर तृप्ति तुम्ही मैय्या

Monday, 23 November 2015

muktak by kapil

तेरी आँखों में इक नदी देखी
तेरे गीतों में ज़िन्दगी देखी
तुम तो हर पल को जी रहे थे मगर
मैंने लम्हों में इक सदी देखी_____ कपिल अनिरुद्ध 

Monday, 5 January 2015

ghazal kapil anirudh

ग़ज़ल
टूटा पहिया गिरा कमाँ ढूंढो
मेरा वो आखिरी बयाँ ढूंढो
मेरी हस्ती तो मिट नहीं सकती
मेरे होने का तुम निशाँ ढूंढो
वो तो गुम हो चुका फ़ज़ाओं में
बेबजह तुम यहाँ बहाँ ढूंढो
शीश महलों में अब नहीं रहता
उस को बस्ती के दरम्याँ ढूंढो
जिस को बेकार कह चले आये
उस का सपनों में क्यों जहाँ ढूंढो
पहले इतिहास ही जला डालो
और फिर आग का धुआं ढूंढो
मिल के सूली पे टांग दो मुझ को
बाद में सब बचे निशाँ ढूंढो
मैंने बदला कपिल पता अपना
मैं यहीं हूँ मुझे यहाँ ढूंढो
Like ·  ·