तवी किनारे .........
आ बैठा हूँ तवी किनारे मन में कुछ उद्दगार लिए
भावों के मैं पुष्प हूँ लाया और श्रद्धा के हार लिए
मौन को धारे जल की धारा धोती हर जन का संताप
कैसा निर्मल साँझा आँचल सब के हेतु प्यार लिए
पावन जल से अपने मन का जब भी है अभिषेक किया
मन में गूंजा अद्भुत गुंजन अनुपम इक झंकार लिए
हम ने कलुषित कर्मो की बस कालिख इस में डाली है
फिर भी सब की खातिर सरिता बहती है आभार लिए
सूरज पुत्री तवी धारा पर जननी बन कर उतरी है
आँचल में सब बच्चों के हित उत्सव और त्यौहार लिए
आ बैठा हूँ तवी किनारे मन में कुछ उद्दगार लिए
भावों के मैं पुष्प हूँ लाया और श्रद्धा के हार लिए
मौन को धारे जल की धारा धोती हर जन का संताप
कैसा निर्मल साँझा आँचल सब के हेतु प्यार लिए
पावन जल से अपने मन का जब भी है अभिषेक किया
मन में गूंजा अद्भुत गुंजन अनुपम इक झंकार लिए
हम ने कलुषित कर्मो की बस कालिख इस में डाली है
फिर भी सब की खातिर सरिता बहती है आभार लिए
सूरज पुत्री तवी धारा पर जननी बन कर उतरी है
आँचल में सब बच्चों के हित उत्सव और त्यौहार लिए
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