Saturday, 13 January 2018

ग़ज़ल

ग़ज़ल
क्या   कहूं क्या बुरा था क्या अच्छा
जो भी होना था वो हुआ अच्छा
कैसे कह दूँ कि कौन कैसा है
अच्छा समझा वही लगा अच्छा
मुझ को हर बात उस की अखरी थी
उस ने हर बात पे कहा अच्छा
मैंने बातों की फसल काटी है
तूने हर हाल में जिया अच्छा
खोटे सिक्के के सारे किस्से हैं
उस की क्या बात वो तो था अच्छा
झूट कितने ही रंग बदले है
जो था अच्छा सदा रहा अच्छा। .....कपिल अनिरुद्ध