एक पल में पर्व में बदली है कैसे आपदा
एक पल में कैसे उभरी भाग्य की रेखा बता
एक पल में कैसे उभरी भाग्य की रेखा बता
एक पल में बंद है सदियों की दौलत बेपनाह
और सदियों में छुपा है एक पल कोई नया
और सदियों में छुपा है एक पल कोई नया
ढूंढती सदियों रही जो उस के पावों के निशाँ
एक पल में दे गया वो उस को अपना हर पता
एक पल में दे गया वो उस को अपना हर पता
मुझ को मुझ से एक पल में वो मिला कर चल दिया
गुमशुदा था मैं तो कब से कब से था मैं लापता
गुमशुदा था मैं तो कब से कब से था मैं लापता
एक पल ही उस ने मुझ को प्यार से देखा 'कपिल'
आस्मां धरती पे उतरा नभ पे छाई यह धरा
आस्मां धरती पे उतरा नभ पे छाई यह धरा
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