Friday, 22 August 2014

कृष्ण कन्हैया प्रकट हुए हैं

कृष्ण कन्हैया प्रकट हुए हैं अंधियारी सी कारागार में
आविर्भाव हुआ मोहन का कष्टों के इस अन्धकार में
जन्मों के संताप मिटे सब युगों युगों की मिटी निराशा
भागे तम अवसाद भी भागे मनमोहन की देख के आभा
व्याकुल मन को मिला सहारा दुखों की इस हाहाकार में
कृष्ण कन्हैया प्रकट............................................
सत्य की एक झलक पाते ही झूठ के पहरेदार सो गए
भय आतंक के ताले टूटे कष्टों के सब चिन्ह खो गए
परिवर्तित हो गयी निराशा केशव की ही जयजयकार में
कृष्ण कन्हैया प्रकट............................................
केशव के चरणों से छू कर शांत हुआ यमुना का जल भी
छाया कर दी शेषनाग ने मुग्ध हुआ देवों का दल भी
विलय हो गयी हलचल सारी शान्तरूप में शान्ताकार में
कृष्ण कन्हैया प्रकट............................................
शंख बजे डमरू भी बाजे बाजे बंसी दोल नगाड़े
करते मंगल गान मुनी सब चहुँ ओर बहते रस धारे
नृत्य भी देखो नाच रहा है जीवन के इस सभागार में
कृष्ण कन्हैया प्रकट............................................
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