चुप धरती मौन अम्बर
चाँद भी जम्हाई जैसे
ले रहा है
कारवां सारा ही जैसे थम गया है
काफिला क्या वक़्त का भी रुक गया है
किस के कहने पर मगर फिर
बादलों की टोली नभ पर
खेल सा इक खेलती है
कौन कहता है पवन को
बहते जाओ
किस ईशारे पर बताओ
मेघ बरसें
रात के कानों में जा कर
कौन बोलो कह रहा है
बिन रुके ही अपने पथ पर बढते जाओ
काम जो सौंपा है उस को करते जाओ
चाँद भी जम्हाई जैसे
ले रहा है
कारवां सारा ही जैसे थम गया है
काफिला क्या वक़्त का भी रुक गया है
किस के कहने पर मगर फिर
बादलों की टोली नभ पर
खेल सा इक खेलती है
कौन कहता है पवन को
बहते जाओ
किस ईशारे पर बताओ
मेघ बरसें
रात के कानों में जा कर
कौन बोलो कह रहा है
बिन रुके ही अपने पथ पर बढते जाओ
काम जो सौंपा है उस को करते जाओ
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