हर पल हर क्षण जग आधारा
देखो होली खेल रहा है
भर पिचकारी देखो उस ने
आसमान में रंग बिखेरे
फाग उड़ा कर मनमोहन ने
इंद्रधनुष के रंग बनाये
लाल सुनहरी हरे गुलाबी
फूल उसी की होली के हैं
सूर्यमुखी वो गेंदा पंकज
रंगे उसी ने इन रंगों में
अद्भुत चित्र बनाये उस ने
अनुपम रंग बिखराये उस ने
रत्नाकर को नील गगन को
रंगा है उस ने अपने रंग में
हरियाली खुशहाली उस के
रंगों का ही करतब जानों
खो कर उस ने प्रेम रंग में
रंग डाली यह सृष्टि सारी
शब्द शब्द पे हर अक्षर पे
मारी उस ने भर पिचकारी
उस के ही रंगो से सारे
देखो होली खेल रहे हैं
ऊपर बैठा देख रहा वो
जादू अपने ही रंगों का
जिन रंगों से उस ने सब को
रंग डाला है उन रंगों को
देखो खुद पे डाल रहा वो
अपने ही रंगों से पल पल
स्वयं वो होली खेल रहा है
देखो होली खेल रहा है
भर पिचकारी देखो उस ने
आसमान में रंग बिखेरे
फाग उड़ा कर मनमोहन ने
इंद्रधनुष के रंग बनाये
लाल सुनहरी हरे गुलाबी
फूल उसी की होली के हैं
सूर्यमुखी वो गेंदा पंकज
रंगे उसी ने इन रंगों में
अद्भुत चित्र बनाये उस ने
अनुपम रंग बिखराये उस ने
रत्नाकर को नील गगन को
रंगा है उस ने अपने रंग में
हरियाली खुशहाली उस के
रंगों का ही करतब जानों
खो कर उस ने प्रेम रंग में
रंग डाली यह सृष्टि सारी
शब्द शब्द पे हर अक्षर पे
मारी उस ने भर पिचकारी
उस के ही रंगो से सारे
देखो होली खेल रहे हैं
ऊपर बैठा देख रहा वो
जादू अपने ही रंगों का
जिन रंगों से उस ने सब को
रंग डाला है उन रंगों को
देखो खुद पे डाल रहा वो
अपने ही रंगों से पल पल
स्वयं वो होली खेल रहा है
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