Wednesday, 13 March 2019

भारत गान-1


भारत किसी भौगोलिक इकाई, किसी भूखण्ड विशेष का नाम नहीं। यह नाम है अनवरत रूप से बहने वाली दार्शनिक, सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक धारा का। इस धारा को यहाँ की बोलियों, भाषाओं, मान्यतायों, आस्थयों, विश्वासों, साहित्य, संगीत और कलायों ने निरंतर समृद्ध किया है। वेदों की ऋचाएं, उपनिषदों के मंत्र, वासुदेव कुटुम्भकम के चिंतन एवं सूफियाना विचारधारा ने इस धारा प्रवाह को गति प्रदान की है। जो निरंतर भाव में रत्त है, प्रकाश में रत्त है वही भारत है। यह देश एक सामूहिक संज्ञा है हमारे प्रज्ञ पुरुषों, ऋषियों, मुनियों, पीरों फकीरों, कलाकारों, चिंतकों, वैज्ञानिकों, स्वतंत्रता सेनानियों के उन प्रयासों की जिन्होंने इस भूखंड विशेष को भारत बनाया। आज गणतंत्र दिवस के अवसर पर इस भूगोलिक इकाई को भारत बनाने वाले सभी चिंतकों, महान विभूतियों को नमन।...कपिल अनिरुद्ध

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